Madhu varma

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लेखनी कविता - स्कूल बस - बालस्वरूप राही

स्कूल बस / बालस्वरूप राही


मेरी बस है सब से आला,
करती कभी न गड़बड़झाला।

रोज नियम से आ जाती है,
ठीक समय पर पाहुचती है।

मैडम भी इस से ही जाती,
कभी डांटती, कभी मनाती।

इस का इंजन नहीं बिगड़ता,
कभी न धक्का देना पड़ता।

ड्राईवर ने इस लिख डाला,
बुरी नजर वाले मुंह काला।

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